Yaksha Yudhisthira Samvad Story in hindi
यक्ष युधिष्ठिर संवाद की कहानी
पांडव वनवास में रहते हुए आगे चलते जा रहे हैं। पांडवों के वनवास के 12 वर्ष पुरे होने वाले हैं। सभी पांडव व द्रौपदी अब अज्ञातवास के बारे में सोच रहे हैं। क्योंकि दुर्योधन व शकुनि ने अपने गुप्तचर पांडवों का पता लगाने के लिए छोड़ रखे हैं। तभी द्रौपदी व पांडवों को गुप्तचरों की भनक लग जाती है कि वो इनका पीछा कर रहे हैं। अर्जुन ऐसा बाण चलते हैं कि चारों ओर धूल मिटटी हो जाती है। इसी बीच पांडव यहाँ से निकल जाते हैं। अब आगे चलते चलते द्रौपदी काफी थक जाती है और पानी पीने के लिए कहती है।
युधिष्ठिर ने पीने का पानी लेन के लिए नकुल को भेजा। नकुल पानी लेने के लिए एक सरोवर पर गए। नकुल को भी बहुत प्यास लगी थी। नकुल ने जैसे ही पानी पीने के लिए अंजुली में पानी भरा। तभी एक आवाज आई- ठहरो – यह जलाशय मेरे आधीन है। तुम इस तरह से पानी नहीं पी सकते। पहले मेरे प्रश्नों के उत्तर दो, फिर पानी पियो”।
नकुल आवाज सुनकर एकदम चौंक गया, पर उसने चेतावनी की ओर ध्यान ना देकर पानी पी लिया। पानी पीते ही नकुल धरती पर मृत अवस्था में गिर पड़ा।
इधर काफी देर होने के बाद नकुल के नहीं लौटने पर युधिष्ठिर चिंतित हुए और उन्होंने सहदेव को भेजा। सहदेव के साथ भी वही घटना घटी जो नकुल के साथ घटी थी। सहदेव के न लौटने पर युधिष्ठिर ने अर्जुन उस सरोवर के पास गए। दोनों भाइयों को मृत अवस्था में पड़े देखकर उनकी मृत्यु का कारण सोचते हुए अर्जुन को भी उसी प्रकार की वाणी सुनाई दी जैसी नकुल और सहदेव ने सुनी थी।
अर्जुन को काफी क्रोध आया ओर अर्जुन बोला- हवा ओर पानी पर सबका अधिकार है। जाओ, मैं तो पानी पीकर दिखाऊंगा। अर्जुन ने भी क्रोध में आकर पानी पी लिया और वे अपने भाई नकुल सहदेव की तरह किनारे पर गिर गए।
अर्जुन का इंतजार करते हुए युधिष्ठिर व्याकुल हो गए। अब उन्होंने भाइयों की खोज के लिए भीम को भेजा। भीम जल्दी से उसजलाशय की ओर बढ़े। वहां उन्होंने अपने भाइयों को मृत पाया। उन्होंने सोचा कि यह अवश्य किसी राक्षस के करतूत है पर कुछ करने से पहले उन्होंने पानी पीना चाहा। यह सोचकर भीम जैसे ही सरोवर में उतरे उन्हें भी वही आवाज़ सुनाई दी। लेकिन भीम ने भी उसकी एक ना सुनी। भीम कहते हैं – मुझे रोकने वाला तू कौन है। यह कहकर भीम ने पानी पी लिया। पानी पीते ही भीम भी वहीँ पर गिर पड़े।
अब चारों भाइयों के नहीं लौटने पर युधिष्ठिर को काफी चिंता हुई ओर खुद ही उस सरोवर की ओर बढे। युधिष्ठिर ने वहां पर अपने चारों भाइयों को मृत अवस्था में पाया।
युधिष्ठिर सोचते हैं कि मेरे वीर भाइयों को किसने मार गिराया है ? हो सकता है दुर्योधन और शकुनि ने चुपके-चुपके कोई षड़यन्त्र किया हो।
Yaksha Yudhisthira Samvad : यक्ष युधिष्ठिर संवाद
फिर सोचते हैं कि लगता है इस सरोवर का जल विषैला है। लेकिन मेरे किसी भी भाई के शरीर पर विष का कोई प्रभाव ही है। युधिष्ठिर जी इस तरह से विचार कर रहे थे। युधिष्ठिर अपने भाइयों की मृत्यु का कारण खोजते हुए सरोवर में उतरे और उन्हें भी वही आवाज़ सुनाई दी – “सावधान! तुम्हारे भाइयों ने मेरी बात न मानकर तालाब का जल पी लिया। यह तालाब मेरे आधीन है। मेरे प्रश्नों का सही उत्तर देने पर ही तुम इस तालाब का जल पी सकते हो!”
युधिष्ठिर ने कहा कि- आप कौन हैं?
आवाज आई- मैंने ही तुम्हारे छोटे भाइयों को यमलोक भेजा है; अतः मेरे पूछने पर यदि तुम मेरे प्रश्नों का उत्तर न दोगे, तो तुम भी यमलोक के अतिथि होआगे। ये सरोवर मेरे अधीन है। मेरे प्रश्नों का उत्तर दो और जल पीओ और ले भी जाओ।
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