Yagyavalkya muni Bharadwaj muni story in hindi
याज्ञवल्क्य मुनि भरद्वाज मुनि कथा(कहानी)
भरद्वाज मुनि प्रयाग में बसते हैं, उनका श्री रामजी के चरणों में अत्यंत प्रेम है। वे तपस्वी, निगृहीत चित्त, जितेन्द्रिय, दया के निधान और परमार्थ के मार्ग में बड़े ही चतुर हैं॥ भरद्वाजजी का आश्रम बहुत ही पवित्र, परम रमणीय और श्रेष्ठ मुनियों के मन को भाने वाला है॥
तीर्थराज प्रयाग में जो स्नान करने जाते हैं, उन ऋषि-मुनियों का समाज वहाँ (भरद्वाज के आश्रम में) जुटता है। प्रातःकाल सब उत्साहपूर्वक स्नान करते हैं और फिर परस्पर भगवान् के गुणों की कथाएँ कहते हैं॥
इसी प्रकार माघ के महीनेभर स्नान करते हैं और फिर सब अपने-अपने आश्रमों को चले जाते हैं। हर साल वहाँ इसी तरह बड़ा आनंद होता है। मकर में स्नान करके मुनिगण चले जाते हैं॥
एक बार पूरे मकरभर स्नान करके सब मुनीश्वर अपने-अपने आश्रमों को लौट गए। परम ज्ञानी याज्ञवल्क्य मुनि को चरण पकड़कर भरद्वाजजी ने रख लिया॥आदरपूर्वक उनके चरण कमल धोए और बड़े ही पवित्र आसन पर उन्हें बैठाया।
Yagyavalkya Bharadwaj muni samvad : याज्ञवल्क्य-भरद्वाज मुनि संवाद
पूजा करके मुनि याज्ञवल्क्यजी के सुयश का वर्णन किया और फिर अत्यंत पवित्र और कोमल वाणी से बोले-हे नाथ! मेरे मन में एक बड़ा संदेह है लेकिन मन में थोड़ा भय है और लाज है। भय इसलिए कि कहीं आप यह न समझें कि मेरी परीक्षा ले रहा है, लाज इसलिए कि इतनी आयु बीत गई, अब तक ज्ञान न हुआ। और अगर आपसे नही कहता हूँ तो अज्ञानी बना रहता हूँ।
आप गुरुदेव है और गुरुदेव से कुछ छुपाव भी नही करना चाहिए। आप मेरी शंका का समाधान कीजिये।
भरद्वाज मुनि पूछते हैं- एक राम अवधेस कुमारा। तिन्ह कर चरित बिदित संसारा॥ नारि बिरहँ दुखु लहेउ अपारा। भयउ रोषु रन रावनु मारा॥
एक राम तो अवध नरेश दशरथजी के कुमार हैं, उनका चरित्र सारा संसार जानता है। उन्होंने स्त्री के विरह में अपार दुःख उठाया और क्रोध आने पर युद्ध में रावण को मार डाला॥
और दूसरे राम वो है जिनको शिवजी जपते हैं? अब राम एक ही हैं या दो हैं?
आप सत्य के धाम हैं और सब कुछ जानते हैं, ज्ञान विचार कर कहिए॥ हे नाथ! जिस प्रकार से मेरा यह भारी भ्रम मिट जाए, आप वही कथा विस्तारपूर्वक कहिए।
इस पर याज्ञवल्क्यजी मुस्कुराकर बोले, श्री रघुनाथजी की प्रभुता को तुम जानते हो॥ तुम मन, वचन और कर्म से श्री रामजी के भक्त हो। तुम्हारी चतुराई को मैं जान गया। तुम श्री रामजी के रहस्यमय गुणों को सुनना चाहते हो, इसी से तुमने ऐसा प्रश्न किया है जैसे तुम्हे कुछ पता ही नही है॥
तुम आदरपूर्वक मन लगाकर सुनो, मैं श्री रामजी की सुंदर कथा कहता हूँ। बड़ा भारी अज्ञान विशाल महिषासुर है और श्री रामजी की कथा (उसे नष्ट कर देने वाली) भयंकर कालीजी हैं॥
रामकथा ससि किरन समाना। संत चकोर करहिं जेहि पाना॥ श्री रामजी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संत रूपी चकोर सदा पान करते हैं।
एक बार ऐसा ही संदेह पार्वती जी भी किया था। तब महादेवजी ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था॥
अब मैं अपनी बुद्धि के अनुसार वही उमा और शिवजी का संवाद कहता हूँ। वह जिस समय और जिस हेतु से हुआ, उसे हे मुनि! तुम सुनो, तुम्हारा विषाद मिट जाएगा॥ आगे पढ़े…