Mahabharata : Shalya or Shakuni Vadh(death) Story/katha in hindi
महाभारत शल्य और शकुनि के वध की कहानी/कथा
महाभारत युद्ध में कर्ण का वध हो चुका था। कर्ण के सारथि मद्र देश के नरेश शल्य थे। इन्होने जाकर दुर्योधन को कर्ण के वध का समाचार दिया।
Mahabharata Shalya vadh : मद्र नरेश शल्य वध
इसके बाद मद्र देश के नरेश शल्य को कौरव सेना का प्रधान सेनापति बनाया गया। मद्र नरेश शल्य पांडु पुत्र नकुल और सहदेव के मामा थे। दुर्योधन कहते हैं कि वो आपकी छात्र टेल आज युद्ध नहीं कर सकते हैं क्योंकि उसे अपने मित्र कर्ण की मृत्यु का काफी दुःख है। आप जाकर युद्ध कीजिये। तब जाकर वो युद्ध करते हैं और वीरगति को प्राप्त होते हैं। इनका वध ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर ने किया।
Mahabharat Shakuni vadh : महाभारत शकुनि वध
सहदेव ने शकुनि के पुत्र उलूक का वध कर दिया था। जिसे देखकर सुबल पुत्र शकुनि को बहुत गुस्सा आया। उसने सहदेव पर तीन बाणों से प्रहार किया। लेकिन सहदेव ने उन बाणों को भेद दिया और शकुनि का धनुष काट डाला। शकुनि ने तलवार से, गदा से, हर तरह से सहदेव पर प्रहार किया लेकिन इसके हर प्रहार का जवाब सहदेव ने बखूबी दिया। काफी देर तक भीषण युद्ध करने के बाद सहदेव ने शकुनि की दोनों भुजाएं, और सर धड़ से अलग कर दिया।
सहदेव के इस पराक्रम को देखकर समरांगण में श्रीकृष्ण सहित समस्त पाण्डव अत्यन्त हर्ष में भरकर सैनिकों का हर्ष बढ़ाते हुए प्रसन्नतापूर्वक शंखनाद करने लगे। सभी लोग ये कहकर सहदेव की प्रशंसा करने लगे कि – वीर! बड़े सौभाग्य की बात है कि तुमने रणभूमि में कपट द्यूत के विधायक शकुनि को पुत्र सहित मार डाला है’।
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