Draupadi Birth/janam Story in hindi
द्रौपदी की जन्म कहानी/कथा
गुरु द्रोणाचार्य ने गुरु दक्षिणा में पांडवों से कहा कि तुम जाओ और राजा द्रुपद को बंधी बना कर मेरे सामने लाओ। पांडव गए और द्रुपद को बंदी बनाकर लाये। इस बात से द्रुपद ने खुद को अपमानित समझ और द्रोणाचार्य से बदला लेने का निश्चय किया।
द्रुपद के कोई भी संतान नही थी। द्रुपद अनेक महर्षियों के पास गए। क्योंकि वे अपने लिए एक ऐसा पुत्र चाहते थे जो उनके अपमान का बदला ले सके और द्रोण का वध कर सके।
खोजते खोजते द्रुपद ने दो ब्रह्मर्षियों को देखा, जिनके नाम ये याज और उपयाज। द्रुपद एकान्त में उनसे मिले और अपनी बात बताई। द्रुपद उपयाज से बोले- उपयाज! जिस कर्म से मुझे ऐसा पुत्र प्राप्त हो, जो द्रोणाचार्य को मार सके।
ये काम होने पर मैं आपको एक अर्बुद (दस करोड़) गायें दूंगा। द्रुपद के ऐसा कहने पर ऋषि उपयाज ने उन्हें जवाब दे दिया, ‘मैं ऐसा कार्य नही करुंगा।’
लेकिन आप मेरे बड़े भाई याज से कहिये। मुझे लगता है वो नीति और अनीति को सोचे बिना आपकी मदद कर सकते हैं। तुम उन्हीं के पास जाओ। वे तुम्हारा यज्ञ करा देंगे।
द्रुपद याज मुनि के पास गए और उनकी विधिवत पूजा करने के बाद कहते हैं कि मुझे एक ऐसा पुत्र चाहिए जो गुरु द्रोण को मार सके। मैं आपकी शरण में आया हूँ।
Dhrishtadyumna Birth Story in hindi : धृष्टद्युम्न के जन्म की कहानी
याज ने कहा यदि तुम्हारे भाग्य में ऐसा पुत्र है तो तुम्हे यज्ञ से ऐसे पुत्र की प्राप्ति जरूर होगी। याज ने यज्ञ करना शुरू कर दिया। हवन के अन्त में याज ने द्रुपद की रानी को आहुति देने के लिए बुलाया। लेकिन उस समय रानी स्नान कर रही थी। उसी समय याज ने कहा की मुहर्त कभी किसी की प्रतीक्षा नही करता। ऐसा कहकर याज ने हविष्य की आहुति ज्यों ही अग्नि में डाली, त्यों ही उस अग्नि से देवता के समान तेजस्वी एक कुमार प्रकट हुआ।
इसे देखकर पांचाल नरेश द्रुपद की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा का हर्ष। वे ख़ुशी से कहने लगे द्रोणाचार्य के वध के लिये ही इसका जन्म हुआ है’।
Draupadi Birth in hindi : द्रौपदी का जन्म
इसके बाद यज्ञ की वेदी में से एक कुमारी कन्या द्रौपदी भी प्रकट हुई, जो पाञ्जाली कहलायी। वह बड़ी सुन्दरी एवं सौभाग्य शालिनी थी। उस समय पृथ्वी पर उसके-जैसी सुन्दर स्त्री दूसरी नहीं थी। उस कन्या के प्रकट होने पर भी आकाशवाणी हुई-‘इस कन्या का नाम कृष्णा है। यह समस्त युवतियों में श्रेष्ठ और सुन्दरी है और क्षत्रियों का संहार करने के लिये प्रकट हुई है। ‘यह सुमध्यमा समय पर देवताओं का कार्य सिद्ध करेगी।
इसके बाद दोनों का सम्पूर्ण द्विजों द्वारा नामकरण किया गया। द्रुपदकुमार धृष्ट, अमर्षशील तथा द्युम्न (तेजोमय कवच-कुण्डल एवं क्षात्रतेज) आदि के साथ उत्पन्न होने के कारण ‘धृष्टद्युम्न‘ नाम रखा।
फिर उस कुमारी का नाम कृष्णा रखा; क्योंकि वह शरीर में कृष्ण (श्याम) वर्ण की थी। यज्ञ से पैदा होने के कारण द्रौपदी का एक नाम यज्ञसेनी भी है। इस प्रकार द्रुपद के महान् यज्ञ में वे जुड़वीं संतानें उत्पन्न हुई। जो धृष्टद्युम्न और द्रौपदी(Dhrishtadyumna and Draupdi) के नाम विश्व विख्यात हुए।
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