Diwali Story/Kathas in hindi
दिवाली कथा/कहानी
दिवाली/दीपावली मानाने के पीछे अनेक कथाएं हैं जो इस प्रकार हैं।
1. Diwali : Ram Vanvas Story/Katha : दिवाली : राम वनवास कथा
दीपावली के दिन अयोध्या के राजा भगवान श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे। भगवान श्री राम को ककई ने वनवास के लिए भिजवाया था। भगवान श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण के साथ वन में गए गए। 14 वर्ष भगवान ने वन में बिताये। वन में सीता जी का रावण ने छल से हरण कर लिया। फिर भगवान राम ने रावण का वध किया। रावण का वध करने का कारण विजयदशमी(दशहरा) का त्यौहार मनाया जाता है। रावण का वध करने ने बाद और 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद भगवान श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापिस लौटे थे। उस दिन लोगों ने घी के दीप जलाये थे। तभी से दिवाली मानना शुरू हो गया। उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी।
2. Diwali : Yamraj nachiketa story : दिवाली : यमराज और नचिकेता की कथा
हिन्दू दीवाली को यम और नचिकेता की कथा के साथ भी जोड़ते हैं। इस प्रसंग का वर्णन हिन्दू धर्मग्रन्थ कठोपनिषद में मिलता है।
एक बार नचिकेता के पिता(उद्दालक ऋषि) मोह के कारण दान में बूढी गायें दान कर रहे थे। दान के वक्त नचिकेता यह देखकर बेचैन हुआ कि उनके पिता स्वस्थ गायों के बजाए कमजोर, बीमार गाएं दान कर रहें हैं। नचिकेता धार्मिक प्रवृत्ति का और बुद्धिमान था, वह तुरंत समझ गया कि मोह के कारण ही पिता ऐसा कर रहे हैं।
पिता के मोह को दूर करने के लिए नचिकेता ने पिता से सवाल किया कि वे अपने पुत्र को किसे दान देंगे। उसके पिता ने इस सवाल को टाला, लेकिन नचिकेता ने फिर यही प्रश्न पूछा। बार-बार यही पूछने पर ऋषि क्रोधित हो गए और उन्होंने कह दिया कि तुझे मृत्यु (यमराज) को दान करुंगा।
सत्य की रक्षा के लिए नचिकेता ने मृत्यु को दान करने का संकल्प भी पिता से पूरा करवा लिया। तब नचिकेता यमराज को खोजते हुए यमलोक पहुंच गया।
नचिकेता को पता चला कि यमराज वहां नहीं है, फिर भी उसने हार नहीं मानी और तीन दिन तक वहीं पर बिना खाए-पिए बैठा रहा।
यमराज ने नचिकेता की पिता की आज्ञा के पालन और तीन दिन तक कठोर प्रण करने के लिए तीन वर मांगने के लिए कहा।
नचिकेता ने पहला वर पिता का स्नेह मांगा। दूसरा अग्नि विद्या जानने के बारे में था। तीसरा वर मृत्यु रहस्य और आत्मज्ञान को लेकर था।
यमराज ने दोनों वर उसे दिए और अंत में जन्म-मृत्यु से जुड़े रहस्य बताए।
3. Diwali : Krishna and Narkasur Story : दिवाली : कृष्णा और नरकासुर कथा
ऐसी मान्यता है की भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर को नरक चतुर्दशी के दिन माता था। इसने सोलह हजार एक सौ(16100) कन्याओं को बंधी बना कर रखा था। ये सभी से एक मुहूर्त में शादी करना चाहता था। लेकिन भगवान ने इसे मारा। अब इन कन्याओं के कहने पर भगवान ने सभी से विवाह किया ।
और फिर इसके अगले दिन से दिवाली माननी शुरू हो गई।
4. Diwali : Vamana and Raja bali story : दिवाली : भगवान वामन और राजा बलि कथा
इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप में महादानी राजा बलि के दान की परीक्षा ली थी। राजा बलि ने सब कुछ भगवान को दान में दे दिया था। इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए ब्लू लिंक पर क्लिक कीजिये ।
5. Diwali : Laxmi mata story : दिवाली : लक्ष्मी माता कथा
दीपावली का पांच दिवसीय महोत्सव देवताओं और राक्षसों द्वारा दूध के लौकिक सागर के मंथन से पैदा हुई लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है। दीपावली की रात वह दिन है जब लक्ष्मी ने अपने पति के रूप में विष्णु को चुना और फिर उनसे शादी की।
कुछ दीपावली को विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी के दिन के रूप में मनाते है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो लोग उस दिन उनकी पूजा करते है वे आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक दुखों से दूर सुखी रहते हैं।
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