Diwali Festival in Hindi
हिंदी निबंध : दिवाली त्यौहार
दीवाली या दीपावली(Diwali or Deepavali) का अर्थ है दीपों की अवली यानि पंक्ति। दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली या दिवाली नाम दिया गया। इसे प्रकाश का त्यौहार कहते हैं। रोशनी से अंधकार दूर हो जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। इस दिन लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती माँ का पूजन किया जाता है।
भगवान श्री राम , सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे, जिस खुशी में लोगो ने घी के दीपक जलाये थे। उसी दिन से दिवाली मानना शुरू हो गया।
वैसे तो कहने के लिए दिवाली हिन्दुओं का त्यौहार है लेकिन त्यौहार किसी धर्म या मजहब का नही होता प्रत्येक प्राणी का होता है। इस दिन की रौनक और ख़ुशी देखने के लायक होती है। यह त्योहार अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आता है। हर जगह ख़ुशी का माहोल होता है। एक-दो हफ्ते पहले से ही लोग घर, आंगन, दुकान, की साफ़ सफाई करने लगते हैं। बाजार में रंग-रोगन और सफेदी के सामानों की खपत बढ़ जाती है। दीपावली के आने से कुछ दिनों पूर्व से ही लोग अपने घरों की साफ सफाई और रंग रोगन के कार्य में लग जाते हैं। ठन्डे मौसम की भी शुरुआत हो जाती है। समस्त भारत वर्ष में इस पर्व को पूरे हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
बाजार में मिट्टी के दीपों, खिलौनों, खील-बताशों और मिठाई की दुकानों पर भीड़ होती है। दुकानदार, व्यापारी अपने बहीखातों की पूजा करते हैं और कई इसी दिन नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत भी करते हैं। हर घर में गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा बिठाई जाती है।
संध्या के समय घर-आंगन और बाजार जगमगा उठते हैं। घर-घर में पकवान बनाए जाते हैं। बच्चों की स्कूल की छुट्टियों से इस त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है। क्योंकि बच्चे इस त्यौहार को मनाने में बड़ी अहम भूमिका निभाते हैं।
रात्रि में पटाखे चलाए जाते हैं। लगभग पूरी रात पटाखों का शोरगुल बना रहता है। दीपावली की बधाइयों और मिठाइयों के आदान-प्रदान का सिलसिला चल पड़ता है।
दीपावली के दिन भारत में विभिन्न स्थानों पर मेले लगते हैं। दशहरे के पश्चात ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग नए-नए वस्त्र सिलवाते हैं। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार आता है। इस बाजारों में चारों तरफ चहल-पहल दिखाई पड़ती है।
बर्तनों की दुकानों पर विशेष साजसज्जा व भीड़ दिखाई देती है। धनतेरस के दिन बरतन खरीदना शुभ माना जाता है। प्रत्येक परिवार अपनी-अपनी आवश्यकता अनुसार कुछ न कुछ खरीदारी करता है। इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है।
इससे अगले दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली होती है। इस दिन यम पूजा हेतु दीपक जलाए जाते हैं।
इसके पश्चात लोग घरों पर विभिन्न प्रकार के बल्ब और रंगीन बल्ब से अपने घर बाहर सजाते हैं। घरों में रंगोलियां बनाई जाती है। अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।फूलों से घरों के प्रवेश द्वार को सजाया जाता है। दुकानदार अपने-अपने दुकानों में भी पूजन करते हैं।कुछ बुरे लोग जुआ खेलते हैं और शराब का पान करते हैं ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए। घरों को दिये जलाकर प्रकाशित किया जाता है।
पटाखों की गूंज और फुलझड़ियों के रंगीन प्रकाश से चारों ओर खुशी का वातावरण उपस्थित हो जाता है। बच्चे-बूढ़े सभी पटाखे छोड़ते हैं। पूरा दिन और रात सुहावना होता है। वैसे तो दीपावली जब भी आती है लोगों में उत्सुकता और अपने घरों को नए रूप में सजाने की बेचैनी सहज ही देखी जा सकती है, लेकिन हर वर्ष देश के विभिन्न भागों में कोई न कोई दुर्घटना जरूर हो जाती है। लेकिन हमें पटाखे जलाते हुए थोड़ा ध्यान भी रखना चाहिए। पटाखों के प्रयोग के समय सावधानी बरतना चाहिए। जब भी बच्चे पटाखों का प्रयोग करें, साथ में बड़े लोगों को उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। एक पानी की बाल्टी साथ में रखें।
ऐसी चीजे ही प्रयोग में लाई जाएँ जो पर्यावरण के लिए हितकारी हो। हमें दिये, बत्ती और मिठाइयों के साथ जहां तक संभव हो इस पर्व को मनाने चाहिए।
दिवाली भारत के आलावा नेपाल , श्रीलंका , म्यांमार , मारीशस , गुयाना , त्रिनिदाद और टोबैगो , सूरीनाम , मलेशिया , सिंगापुर और फिजी में भी मनाया जाता है।
दीप जलने के पीछे अनेक कथाये हैं। जिनमे से कुछ कथाएं इस प्रकार हैं। किसी भी कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए उस पर क्लिक कीजिये –