Morari Bapu Quotes Words and Thoughts in hindi : Part 2
मोरारी बापू के वाक्य शब्द और विचार : पार्ट 2
मोरारी बापू के शब्द, विचार और वाक्यों को आपके सामने उसी भाषा में प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे बापू ने बोले हैं। बापू के सभी वाक्य और विचार मानस स्वर्ग स्विट्ज़रलैंड राम कथा से लिए गए हैं।
मोरारी बापू कहते हैं कि
- प्रसाद का पैसा होता ही नहीं… जिस प्रसाद का पैसा जो मंदिर …जो संस्था …जो धर्म ले …वो सब व्यापार कर रहे हैं ….प्रसाद है ही नहीं।
जो बांटा जाये वोही प्रसाद …बेचा जाये उसको प्रसाद कैसे कहो ?….नाम बदल डालो।
2. मेरे युवान भाई बहन ..रामायण पढो …पाठ ज़रूर करो लेकिन केवल धर्म ग्रंथ ही है ऐसा समझकर नहीं। किसी पहुँचे हुए फकीरों से उसका अर्थ सुनो ..धर्म बोध सुनो।
3. मोरारी बापू के पास तुम क्यूँ आते हो ?…मेरे पास रामायण ना हो तो मैं switzerland देख भी ना सकूँ …मैं मुम्बई जा ना सकूँ साहेब .. ऐसे अभाव में मैं बड़ा हुआ हूँ।
ये किसका प्रताप है ?…ये 1 पाघड़ी का और मानस की चौपाई का ….
ऐसे अपनी क्षमता को याद रखना …और उसको पचाना ….
मानस की वजह से …वरना यहाँ कौन ले आये?…कहाँ जाते हम ?….पर परमात्मा कृपा करे वो पचाना चाहिये।
4. मैं क्यूँ राम चरित मानस लिये घूम रहा हूँ ?…राम चरित मानस स्वयं समन्वय का ग्रंथ है। पूरा का पूरा ये शास्त्र समन्वय का शास्त्र है …इसलिये स्वर्ग है …मानस स्वर्ग।
मानस माने हृदय …मानस माने ये शास्त्र …ये स्वर्ग है …हमारी मुट्ठी में स्वर्ग है।
5. तीन के साथ निवास करना अनंत अनंत स्वर्ग का सुख है …यहाँ 3 हैं सीता ..राम और वन।
सीता राम के साथ वन में रहना एक नहीं …कोटि कोटि अमरापुर से ज़्यादा सुखदायी है।
स्थूल रूप में हमारे पास सीताराम नहीं हैं …इसका अर्थ गुरू कृपा से और लगाना पड़ेगा।
सीता माने भक्ति …राम माने ज्ञान …वन माने वैराग …
जो व्यक्ति संसार में रहकर भजन करेगा …जो व्यक्ति संसार में रहकर अपने विवेक को बचायेगा …जो व्यक्ति संसार में रहकर किसीको पता ना लगे ऐसे धीरे धीरे संसार से असंग होता जायेगा। वो कोटि कोटि अमरापुर के सुख का अधिकारी है।
6. कोई जब कहता है ना कि मैं तलगाजरड़ा की बेटी हूँ तो मुझे बहुत आनंद होता है …कई बेटी ऐसा बोल देते हैं।
7. जहाँ अपनत्व होता है …उसके सामने आप किसी की भी सराहना करो …अपना कभी बुरा नहीं लगायेगा।
8. गिरिराज मुझे सत्य दिखते हैं।
यमुनाजी मुझे प्रेम दिखती हैं।
महाप्रभूजी मुझे करुणा दिखते हैं।
9. स्वीकार …स्वर्ग है।
अस्वीकार …नर्क है।
10. वक्ता अखंड रस में डूबकर बोले तो स्वर्ग है।
श्रोता अखंड रस में डूबकर सुने तो स्वर्ग है।
कोई अखंड ध्यान करने वाला …यदि अखंड ध्यान बन जाये ..भले 2 घड़ी …2 पल …तो तेजोपनिषद कहता है ….ये स्वर्ग है।
11. विद्यार्थी भाई बहनों ….आप मेहनत करो …college …university …महाविद्यालय …खूब homework करो …tuition रखो …जो करो …लेकिन परिणाम में हिल मत जाओ ..छोड़ दो नियती पर …स्वीकार कर लो …जो है।
हम मन इच्छित परिणाम लाना चाहते हैं ..वहाँ मुश्किल है।
12. मुझे कथा का फल क्या चाहिये यार ?….नको …
ईश्वर साक्षात आकर मुझे कथा का फल दे तो मैं मना करूँ …विनय से… कि मुझे कोई फल …..मेरे कंठ से आपने कथा गवा ली …इससे बड़ा क्या फल होता है ?…इससे बड़ा कौन फल है ?…इतना रस से तुमने भर दिया दाता।
Read : मोरारी बापू के शब्द पार्ट 1
13. वोही अखंड 1 मात्र रस है कि तुम ..जो परिस्थिती आये ..उसको ग्राह्य करना सीखो …हर पल को ग्राह्य करना सीख लेता है वो स्वर्ग में जीता है …स्वीकृती ….स्वीकार ..कठिन है …स्वीकार बड़ी तपस्या माँगता है ….
इसलिये जब मैं स्वर्ग की बोली बोलता हूँ तब मेरी 1 प्रार्थना मेरे श्रोताओं को ….वक्ता को ..व्यक्ति को ..और उसके वक्तव्य को भी सावधानी से सुनो …जल्दी वक्ता को भी ना पकड़ो …वक्तव्य को भी ना पकड़ो …think twice …2 baar सोचो…
यदि हम हर घटना को स्वीकार करना सीख लें तो उपनिषद कहता है ..ये पल तुम्हारा स्वर्ग है …अब इससे और स्वर्ग की दिव्य परिभाषा क्या होगी ?
हम सबकी …मैं भी आपके साथ हूँ… तत्क्षण उस पल को कुबूल नहीं कर पाते …महान से महान ..अखंड रस है स्वीकृती …ये स्वीकृती स्वर्ग है ….
यार आप लाख मेहनत करें …प्रयत्न करें …बिना स्वीकार कोई चारा नहीं है …कुबूल करना पड़ता है।