Kalyug se Bachne ka Upay
कलियुग से बचने का उपाय
कलियुग से बचने का एक बहुत ही आसान रास्ता है, बहुत ही आसान मार्ग है लेकिन हम ये भी नहीं कर पाते हैं। केवल और केवल भगवान का नाम। तभी तो गाया गया है कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर-सुमिर नर उतरहिं पारा।
भावार्थ:-इस कलयुग में भगवान का नाम ही आधार है। केवल नाम सुनने से , जपने से मानव भाव सागर से उतर जाता है।
एक और कमाल की बात है नाम जप में किसी विधि विधान , देश , काल , अवस्था की कोई बाधा नहीं है। किसी प्रकार से , कैसी भी अवस्था में , किसी भी परिस्थिति में , कहीं भी , कैसे भी नाम जप किया जा सकता है। इस नाम जप से हर युग में भक्तों का भला हुआ।
हाँ.. शायद मन्त्र में कोई नियम हो सकता है लेकिन भगवान के नाम में कोई भी बाधा नहीं है। इसलिए खूब नाम जपो।
हमारे यहाँ चार युग हुए हैं। उन चारों में भगवान की प्राप्ति का मार्ग अलग अलग था, जो श्लोक है श्रीमद भागवत महापुराण में –
कृते यद् ध्यायतो विष्णुं त्रेतायां यजतो मखैः।
द्वापरे परिचर्यायां कलौ तद्धरिकिर्त्तानात्॥ (श्रीमद भागवत पुराण 12.3.42)
अर्थ :- ‘सत्ययुग में भगवान के ध्यान से, त्रेता में यज्ञ से और द्वापर में भगवान की पूजा से जो फल मिलता था, वह सब कलियुग में भगवान के नाम-कीर्तन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है।
तो दोस्तों कितना सरल है। लेकिन कलि प्रभाव है जो हमें नाम नहीं लेने देता। इसका उपाय भी नाम लेना ही है। हर समस्या का हल भगवान का नाम लेने से होता है। पर इसमें आपकी श्रद्धा और विश्वास होना चाहिए। हम जीव हैं। हमारी आयु कम है, समय भी बहुत कम है। संसार के भी बहुत काम हमें करने होते हैं। दिन रात सुबह शाम हर समय हम बिजी रहते हैं। कोई न कोई काम जरूर रहता है। हम यज्ञ नहीं कर सकते हैं, जप नहीं कर सकते हैं, तप नहीं कर सकते हैं लेकिन नाम तो ले ही सकते हैं। भगवान का लिया हुआ नाम कभी भी खाली नहीं जाता है, फिर आप चाहे कैसे भी लें। गीता में तो यहाँ तक लिख दिया है कि तुम्हें यदि यज्ञ करना है तो जप यज्ञ करो, यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि – सम्पूर्ण यज्ञोंमें जपयज्ञ) भगवान के नाम का जप करना भी एक यज्ञ है उसे जपयज्ञ(Jap Yagya) कहते हैं।
और फिर तुलसीदास जी ने हमें पूरी छूट दे दी है कि
भायँ कुभायँ अनख आलस हूँ। नाम जपत मंगल दिसि दसहूँ॥
अर्थ :– प्रेम-भाव से, बैर-भाव से, क्रोध-भाव से या आलस्य-भाव से, किसी भी प्रकार से नाम जप दसों दिशाओं में मंगलकारी है।
मोरारी बापू ने ये भी कह दिया तुम सारे दिन अपने काम में व्यस्त हो, नाम नहीं ले पा रहे हो भगवान का, तो भी कोई बात नहीं। जब सोने जाओ और सब काम से निवृत हो चुके हो यदि नींद नहीं आ रही हो उस समय सिर्फ भगवान को भजो। जो भी आपके इष्ट हो, जिससे भी आपको प्यार हो। राम, कृष्ण, हनुमान, शिव, माँ दुर्गा, या जो भी आपको निकट लगे आप उस नाम का जप करो।
और कितनी छूट चाहोगे यारो। मुझे नहीं लगता इससे ज्यादा छूट हमें दी जा सकती है। केवल भगवान का नाम काफी है। जय सियाराम॥
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जय सियाराम