Guru Mantra ka jap kare ya Bhagwan ke naam ka?
गुरु मन्त्र का जप करें या भगवान के नाम का
अधिकतर साधकों के भक्ति मार्ग में सद्गुरु अवश्य होते हैं। अब प्रश्न ये आता है कि हम गुरु के द्वारा दिए हुए मन्त्र का जप करें या फिर जो नाम हमें दिन रात याद रहता है, जिसे लेते ही हमारे ह्रदय में प्रेम उमड़ पड़ता है, जैसे राम, कृष्ण, शिव, हनुमान, राधा, माँ दुर्गा या अन्य कोई भी नाम जिसमें आपकी श्रद्धा हो, कौनसा नाम हमें लेना चाहिए? ये प्रश्न मेरे मन में भी था जिसका जवाब मुझे मिल गया है जिसे मोरारी बापू ने मानस सेवा यज्ञ राम कथा में कहा है और इस जवाब से में 100% सहमत हूँ। आपको अनुकूल लगे तो आप भी इसे अपनाइयेगा। मोरारी बापू का राम से प्रेम है तो यहाँ पर बापू राम नाम के लिए कह रहे हैं। आपकी जिस नाम में श्रद्धा हो आप अपना नाम लें।
मोरारी बापू कहते हैं
एक प्रश्न – सदगुरू ने जो मंत्र दिया हो, वो जपना चाहिये या राम मंत्र?
बापू बोले – सदगुरू ने दिया हो वो मंत्र जपो लेकिन मंत्र और नाम में फर्क है। सदगुरू का दिया मंत्र नियम अनुसार जपो लेकिन मेरे राम का नाम जब चाहो रटा करो।
राम(भगवान) नाम तुम्हारे गुरू के दिये मंत्र को आधार देगा। ये आधार ना हो तो सब मंत्र विफल।
राम है नींव ……मेरे लिये तो दशों दिशा में राम नाम ही गूँज रहा है …..राम के सिवा कुछ दिखता ही नहीं।
गुरू के नाम की माला रखना।
मेरे राम के नाम का बेरखा रखना।
मोरारी बापू के शब्द
मानस सेवा यज्ञ
जय सियाराम
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