Dharma kya hai | धर्म क्या है?
What is Dharma in hindi
धर्म(dharma) की अनेक परिभाषा हमारे शास्त्रों में है। वैसे तो सभी श्रेष्ठ हैं लेकिन इसी प्रकार धर्म की जो परिभाषा मुझे सबसे अच्छी लगी वो है जिसे धारण किया जा सके। धर्म का अर्थ होता है धारण। गुणों को जो प्रदर्शित करे वह धर्म है। धर्म के अनेक लक्षण बताये गए हैं। जिनका वर्णन नीचे है।
कहा गया है कि अहिंसा ही धर्म है।
मानव के लिए मानवता ही धर्म है।
श्री मृदुल कृष्ण शास्त्री कहते हैं – जैसा व्यवहार आप दूसरों से अपने लिए चाहते हो वैसा ही दूसरे के साथ करो।
मोरारी बापू के अनुसार – सत्य प्रेम और करुणा।
मनुस्मृति में महाराज मनु ने धर्म के 10 लक्षण बताये हैं –
धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम् ॥ मनु स्मृति 6/92
अर्थ – धृति (धैर्य ), क्षमा (अपना उपकार करने वाले का भी उपकार करना ), दम (हमेशा संयम से धर्मं में लगे रहना ), अस्तेय (चोरी न करना ), शौच ( भीतर और बाहर की पवित्रता ), इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों को हमेशा धर्माचरण में लगाना ), धी ( सत्कर्मो से बुद्धि को बढ़ाना ), विद्या (यथार्थ ज्ञान लेना ). सत्यम ( हमेशा सत्य का आचरण करना ) और अक्रोध ( क्रोध को छोड़कर हमेशा शांत रहना ) ।
श्रूयतां धर्म सर्वस्वं श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।
आत्मनः प्रतिकूलानि , परेषाम् न समाचरेत् ॥ महाभारत
अर्थ : ( धर्म का सर्वस्व क्या है, सुनो और सुनकर उस पर चलो ! अपने को जो अच्छा न लगे, वैसा आचरण दूसरे के साथ नही करना चाहिये । )
इसके आलावा श्रीमद्भागवत पुराण में भी धर्म की व्याख्या आई है, श्री विदुर जी ने भी धर्म की व्याख्या बताई है, श्री तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में धर्म की व्याख्या की है, पद्मपुराण में ही धर्म के बारे में बताया गया है, याज्ञवल्क्य जी ने भी धर्म के 9 लक्षण बताये हैं। जिन्हें आप लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं – Click here
हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, जैन या बौद्ध आदि धर्म न होकर सम्प्रदाय या समुदाय मात्र हैं। इसमें हिन्दू धर्म सबसे पुराना है। एक वाक्य बहुत पसंद है मुझे मोरारी बापू का कि जो धर्म आपको मुस्कुराना न सिखाये वो धर्म कैसा? जिस धर्म में मुस्कुराने का मनाही हो वो धर्म कैसा? इसलिए सत्य प्रेम और करुणा।