Sankat se Bachne ke upay
संकट से बचने के उपाय
how to face Problems and Difficulty in Hindi?
मोरारी बापू द्वारा मानस स्वर्ग(स्विट्ज़रलैंड) कथा में बताया है कि हम कैसे संकट से बच सकते हैं? आइये बापू के शब्दों में ही हम पढ़ें।
मोरारी बापू कह रहे हैं कि
हनुमान चालिसा में एक चौपाई है ….
संकट से हनुमान छुडावे मन क्रम बचन ध्यान जो लावे।
यहाँ यदि तीनों से ध्यान रखकर के ..जो ध्यान से 4 का आश्रय करे तो संकट से हनुमान छुडावे …हम इस शर्त को पूरा नहीं कर पा रहें हैं इसलिये संकट हम पर हावी हैं …मन… जितना हो सके उसको समझाया जाये।
..गुफतगु करो तो मन से करो …ये अच्छा श्रोता बन सकता है …एकांत मिला ही मन से बातें हों …ये प्रयोग करने जैसा formula है …हमें शांति क्यूँ नहीं बाप ? अभी 2 दिन पहले 1 भाई ने मुझे पूछा था कि बापू कृपा क्यूँ नहीं आ रही है? मैने मन में कहा कि ये सवाल तेरा बिल्कुल गलत है ।
एक छोटी बच्ची ..निर्दोष बालिका ..कन्याकुमारी ..हाथ में कुछ प्रसाद ..हाथ में कुछ शुभ वस्तु लेकर घर में आये और उसी समय माँ बाप लड़ते देखे तब बच्ची बाहर चली जायेगी …कृपा तो कन्या कुमारी है ..कृपा बिल्कुल virgin है ..या सदगुरू द्वार से आयी है या हरि द्वार से आयी है ..लेकिन हमारे घर का माहौल देखकर ये बच्ची घबराकर भाग जाती है …कृपा है कन्याकुमारी ..भोली भाली …बिल्कुल मासूम बच्ची का नाम मेरी व्यास्पीठ कृपा करता है …करुणा हाथ में गोरस लेकर आती है ..जैसे कभी व्रज की राधा गोरस लेकर निकलती थी वृंदावन में ।
शांति तो विवाहिता है ..राम से ब्याही हुई है ..शांति क्यूँ नहीं मिल रही है ? वो शादीशुदा है ..ये परम की शांति है ..वो आती है ..और कोई भी मर्यादा वाली स्त्री ..विवाहिता स्त्री घर में प्रवेश करे और घर का वातावरण अमंगल दिखे ..अस्तव्यस्त देखे ..मर्यादा वंचित देखे …शांति लौट जाती है।
फिर कल दस्तक देगी ..कल आयेगी …
क्षमा वृद्ध है बहुत प्रौढ है ..परीपक्व है ..अनुभव की खान है …तुम्हारी माँ ..तुम्हारा बाप बूढा ..लकडी का सहारा लेकर ..प्रौढ ..जिन्होंने बहुत दीपावलियाँ देखी हैं ..ये घर में आये और घर का माहौल कुछ इधर उधर का देखे तो तत्क्षण क्षमा को भी लगता है कि मैं रुक जाऊं अभी ….मेरा सदुपयोग नहीं कर पायेंगे ये लोग अभी …
तो संकट क्यूँ आते हैं ? संकट सबके जीवन में हैं …जो संकट आये हैं ना तब मन को धीर रखना ..मेरे पास ..ये व्यास्पीठ के जो आश्रित हैं ..flowers हैं सब जो ….जिसकी चिंता व्यास्पीठ को होती है …तो मैं यही कहता हूँ कि थोड़ा धैर्य रखो ..बाकी हम कर भी क्या सकते हैं ? लेकिन धीरज एक साधना है ..please note it …
और मेरा अनुभव …और मेरा स्वभाव और जो कहो ..प्रभू की कृपा कहो …ऐसी परिस्थिती आये …अकेले हो जाओ कुछ समय के लिये ..परिवार को ना लगे कि हमारी उपेक्षा हो रही है …ऐसे थोड़ा अकेले 5 मिनिट ..10 मिनिट ..15 मिनिट अकेले हो जाओ ..चुप हो जाओ …घर में कुछ माहौल बिगडा ..उपेक्षा मत करो ..किसीको ये ना लगे उपेक्षा हुई ..सब अपने अपने काम में लग जायें तब तुम्हारे मन की ग्लानि ..तुम्हारे मन की पीड़ा…एकांत में चले जाओ ..इसका मतलब एकांत में रूठकर नहीं बैठना वरना कोपभवन …नाम बदल जायेगा ..हमको रखना है मंगल भवन …एक बार शांति से मन में ठहर जायेंगे ना तो उसमें से उपाय निकलेगा …
अब क्या होगा वो छोड दो …ये घटना आयी इससे पहले ये था ये भी छोड दो …please ….अब मैं मन को धैर्य में रखूँ ..वर्तमान ….
बहुत मुश्किल है …धीरज साधना है ..उसीमें थोड़ा शांत हो जाओ …उसके बाद आप क्रम में जुड़ जाओ …क्रम सफल …तब अस्तित्व तुमको वचन देगा …ज़ुबान देगा ईश्वर ….कि बेटा 2 काम तूने किये …1 काम मैं कर दूँगा …उसको कहते हैं मन ..क्रम ..वचन ..ध्यान जो लावे …