Morari Bapu : Manas Swarg Switzerland Katha
मोरारी बापू : मानस स्वर्ग स्विट्ज़रलैंड कथा
मोरारी बापू की राम कथा 15 जुलाई से 23 जुलाई 2017 तक स्विट्ज़रलैंड में हो रही है। बापू ने यहाँ पर मानस स्वर्ग विषय को चुना। मोरारी बापू ने जिन दो चौपाइयों से कथा की शुरुआत की वो है–
एहि तन कर फल बिषय न भाई। स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥
भावार्थ : – हे भाई! इस शरीर के प्राप्त होने का फल विषयभोग नहीं है (इस जगत् के भोगों की तो बात ही क्या) स्वर्ग का भोग भी बहुत थोड़ा है और अंत में दुःख देने वाला है।
प्रीति सदा सज्जन संसर्गा। तृन सम बिषय स्वर्ग अपबर्गा॥
भावार्थ :- संतजनों के संसर्ग (सत्संग) से जिसे सदा प्रेम है, जिसके मन में सब विषय यहाँ तक कि स्वर्ग और मुक्ति तक (भक्ति के सामने) तृण के समान हैं।
मोरारी बापू मानस स्वर्ग कथा में सुंदर बोल रहे है कि
सुंदर रमणीय भूभाग में बैठे हैं …..दुनिया में इससे रमणीय कोई नहीं मेरे निजमत में ऐसी रामकथा गायी जा रही है ……और ऐसे रमणीय भाव से आयोजन हुआ है …ऐसे माहौल में हम आये हैं …तो बस 9.30 बजे कथा शुरू हो उसके बाद 10 बजे तक इधर ..उधर ..(mobile में )……उसके बाद मन दीजिये मेरी व्यास्पीठ को ….और प्रसन्न मन …मुर्झा हुआ नहीं ….कुछ काम हो जायेगा ..बड़ी तसल्ली लेकर हम यहाँ से लौटेंगे …बाकी तो फिर आधा दिन खाली है ..घूमो ..फिरो …enjoy करो बाप ….आये हो …
लेकिन घूमने के लिये नहीं आये हो …जीवन को घुमा देने के लिये आये हो ….
जीवन को 1 मोड़ देना …जीवन को 1 turn देना …
मानस माने हृदय…अपना हृदय ही स्वर्ग है ..बाहर मत ढूँढना …कबीर साहब का पद है ..मैं तो तेरे पास ..neighbour ….जो मेरा neighbour है ….अब क्या है neighbour तो बगल में रहता है …ये तो मेरे अन्दर रहता है ..क्या करूँ ?…ये neighbour अन्दर रहता है …ज़रा विचित्र neighbour है …मेरे अन्दर क्या ..आपमें भी अन्दर रहता है ..पवन के रूप में ..श्वासो श्वास के रूप में ..वो neighbour हमें जीवित रखता है ..कबीर कहते है ..मोको कहाँ ढूँढो रे बंदे ? मैं तो तेरे पास में ..ना काबा ना काशी में ….
बापू के शब्द
मानस स्वर्ग
जय सियाराम