Kya ek Beti Pita/Father ka antim sanskar kar sakti hai?
क्या एक बेटी पिता का अंतिम संस्कार कर सकती है?
समाज की परम्परा है कि एक पुत्र ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करे। लेकिन समय-समय की बात है। एक समय सती प्रथा, पर्दा प्रथा को ठीक माना जाता था। लेकिन समय के अनुसार सब बदल गया।
ऐसा ही प्रश्न मोरारी बापू से राम कथा पूछा गया? 800वीं राम कथा(मानस मसान) काशी में हुई। 21 अक्टूबर 2017 को शाम 4 बजे से और 22 से 29 अक्टूबर तक सुबह 9:30 बजे से शुरू हुई। तो आइये उन्हीं के शब्दों में सुनते हैं, पढ़ते हैं।
मोरारी बापू(Morari Bapu) कह रहे हैं कि
मुझे आज किसी ने पूछा – मैं मेरे बाप की 1 ही बेटी हूँ और जब मेरे पिता का निर्वाण हो तो क्या मैं उनका अंतिम संस्कार कर सकती हूँ?
बापू बोले – देखो भाई …मैं मेरी ज़िम्मेदारी से छूट देता हूँ।कई शास्त्र आपको मना करे, कोई धर्माचार्य आपको मना करे, लेकिन व्यक्तिगत रूप में मैं कहूँ कि कर सकें …मुझे तो कोई आपत्ति नहीं ….practical हो।
धर्म नाराज नहीं होगा …धार्मिक लोग शायद नाराज हो जायेंगे। नाराज हो जाये वो धर्म नहीं …मुस्कुराये वो धर्म।
बापू के शब्द
मानस मसान
जय सियाराम