Ganga Yamuna Nadi Bachao : Morari bapu ka nivedan
गंगा यमुना नदी बचाओ : मोरारी बापू का निवेदन
आज भारत देश की बड़ी समस्याओं में से एक है कि सभी नदियां दूषित और प्रदूषित होती जा रही है। इन्हें बचाना बहुत जरुरी है। अब इनके लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरुरत है, नहीं तो ये नदियां विलुप्त हो जाएँगी। मोरारी बापू राम कथा “मानस श्री” में कहते हैं कि
कैसे भी …कैसे भी …कैसे भी ….किसी भी भोग पर गंगा अक्षूण बहनी चाहिये। गंगा भीतर से तो पवित्र युगों युगांतरों से है ही लेकिन उसका बहीर रूप मैं और आप सब मिलकर स्वच्छता बनाये रखें।
यमुना विश्राम घाट तक पहुँचनी चाहिये।
मैं सरकारों से निवेदन करूँ …आपके पास राजपीठ है …हमारे पास व्यास्पीठ है। राजपीठ कायम संकीर्ण होती है। व्यास्पीठ कायम नाप ना सको इतनी व्यापक होती है।
गंभीरता से गंगा, यमुना और हमारी पावन नदियों के लिये सोचा जा रहा है …अवश्य …अविलंब उसके लिये ठोस कदम उठाये जायें।
एक शेर है रविन्द्र कुमार शर्मा का –
समुंदर …नदी को बहुत प्यार देना।
ये नदी ऊँचे घराने से आ रही है॥
समाज के समुन्दरों को भी मेरी प्रार्थना है …विध विध क्षेत्र के समुंदरों को…. इस गंगा को बहुत प्यार दो ….गंगा विश्व में हमारी पहचान है।
मोरारी बापू के शब्द
मानस श्री
जय सियाराम
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