Bhagwan ki Bhakti kaise kare
भगवान को पाने के लिए क्या करे?(Bhagwan ko pane ke liye kya kare?
मेरे प्यारे भाइयो और बहनों –
मेरे गुरुदेव कहते है की भगवान कोई वस्तु नही है जिसे आप रुपैये पैसे से खरीद सके। भगवान बाजार में बिकते भी नही है। तो फिर भगवान को कैसे अपना बनाया जाये। सिर्फ एक ही उपाय और तरीका है जिसे कहते है भक्ति(प्रेम )।
यदि आप भगवान की भक्ति करते हो तो आपका प्रेम भगवान से है। श्रीमद् भागवत में नवधा भक्ति के बारे में बताया गया है।
Read: Shrimad Bhawat Navdha Bhakti(नवधा भक्ति)
भगवान श्रीकृष्ण गीता जी में भी कहते हैं कि..(Lord Krishna Said in Geeta)
नाहं वेदैर्न तपसा न दानेन न चेज्यया ।
शक्य एवंविधो द्रष्टुं दृष्टवानसि मां यथा ॥
भक्त्या तु अनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन ।
ज्ञातुं द्रष्टुं च तत्वेन प्रवेष्टुं च परन्तप ॥
हे पार्थ ! जिस प्रकार का दर्शन तुम्हें प्राप्त हुआ है, इस प्रकार से न तो मैं वेदों के अध्ययन से, न तपस्या से, न तो दान से, और ना तो यज्ञोपासना से ही देखा जा सकता हूँ…..
हे शत्रुओं को तपाने वाले महावीर ! इस प्रकार का मेरा यह (चतुर्भुज रुप वाला) दर्शन तो केवल एक मात्र अनन्य भक्ति के द्वारा ही सम्भव है।
भगवान की भक्ति ऐसा मार्ग है को भगवान को सब कुछ करने के लिए विवश कर देती है। इसलिए भगवान की भक्ति करो।
भगवान राम कहते है – (Bhagwan Ram Kehte Hai)
कह रघुपति सुनु भामिनि बाता ।
मानउँ एक भगति कर नाता ॥
भावार्थ :- अरण्यकाण्ड में भगवान श्रीराम शबरी को नवधा भक्ति के प्रकरण में उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि….
हे भामिनि ! मेरी बात सुन….. मैं तो एक मात्र केवल भक्ति का ही सम्बन्ध, नाता मानता हूँ ।
भावार्थ :- अरण्यकाण्ड में भगवान श्रीराम शबरी को नवधा भक्ति के प्रकरण में उपदेश देते हुए कह रहे हैं कि….
हे भामिनि ! मेरी बात सुन….. मैं तो एक मात्र केवल भक्ति का ही सम्बन्ध, नाता मानता हूँ ।
भगवान को पाना है तो केवल भगवान की भक्ति करो । (Only bhakti is the way meet to God)
भगवान श्री राम ने भी माता सबरी को 9 प्रकार की भक्ति के बारे में बताया है। जो इस प्रकार है।
Bhagwan Shri Ram ne mata sabri ko 9 parkar ki bhakti ke bare me btaya hai. Jo Is Parkar hai.
भगवान माँ सबरी से बोलते है –
नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं।
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥
भावार्थ:- मैं तुझसे अब अपनी नवधा भक्ति कहता हूँ। तू सावधान होकर सुन और मन में धारण कर। पहली भक्ति है संतों का सत्संग। दूसरी भक्ति है मेरे कथा प्रसंग में प्रेम॥
गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान।
चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान॥
भावार्थ:- तीसरी भक्ति है अभिमानरहित होकर गुरु के चरण कमलों की सेवा और चौथी भक्ति यह है कि कपट छोड़कर मेरे गुण समूहों का गान करें॥
मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा॥
छठ दम सील बिरति बहु करमा। निरत निरंतर सज्जन धरमा॥॥
भावार्थ:- मेरे (राम) मंत्र का जाप और मुझमें दृढ़ विश्वास- यह पाँचवीं भक्ति है, जो वेदों में प्रसिद्ध है। छठी भक्ति है इंद्रियों का निग्रह, शील (अच्छा स्वभाव या चरित्र), बहुत कार्यों से वैराग्य और निरंतर संत पुरुषों के धर्म (आचरण) में लगे रहना॥॥
सातवँ सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा॥
आठवँ जथालाभ संतोषा। सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा॥
भावार्थ:- सातवीं भक्ति है जगत् भर को समभाव से मुझमें ओतप्रोत (राममय) देखना और संतों को मुझसे भी अधिक करके मानना। आठवीं भक्ति है जो कुछ मिल जाए, उसी में संतोष करना और स्वप्न में भी पराए दोषों को न देखना॥2॥
नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हियँ हरष न दीना॥
नव महुँ एकउ जिन्ह कें होई। नारि पुरुष सचराचर कोई॥
भावार्थ:- नवीं भक्ति है सरलता और सबके साथ कपटरहित बर्ताव करना, हृदय में मेरा भरोसा रखना और किसी भी अवस्था में हर्ष और दैन्य (विषाद) का न होना। इन नवों में से जिनके एक भी होती है, वह स्त्री-पुरुष, जड़-चेतन कोई भी हो-॥॥
भगवान कहते है की इन भक्ति मार्गो में से कोई भी एक मार्ग पकड़ लो और वह मार्ग तुमको मुझसे मिला देगा। ज्यादा किसी विधि विधान में पड़ने की जरुरत नही है।
Read: Bhagwan Kisko or kaise milte hai?
Hello
Shri Radhey ji
HI
Shri Radhey
ek dum sahi kaha ram ram ram ram ram japte raho kaliyug se mukti miljayga sansar ki sukho ko bhul jao bas maan lagao prabu ram ko dekna mukti sure miljaga
Jai Shri Ram
Bhagwan ke naam ke bina our garebo ke seva ke bina duniya sooni lagti hai. Jai Shre Ram.
aapne ekdam sachi baat kahi. Jai Siyaram
sahi h bate likhi jo apne jivan utar le wah sansar me rahte huye bhi bhagwan ki bhakti karta rahega aur mukti pa lega.
is duniya me yadi koi maangne jaisi or karne jaisi chij hai to vo sirf bhakti hi hai.
Kis bhagwan ki pooja kare bhagwaan to bahut saare hai aur bhagwaan.to koi ek hi hoga jisne ye duniya bnayi hai.
prnaam sabko karna chahiye.. lekin dil me to ek hi base hone chahiye.. jaise hanumanji ke dil me siyaram 🙏