Anushthan Aradhana kaise kare in hindi
अनुष्ठान आराधना कैसे करें ?
मोरारी बापू ने मानस श्रीदेवी राम कथा में अनुष्ठान और आराधना से सम्बंधित बात बताई है। आप उन्हीं की वाणी में सुनिए — मोरारी बापू कह रहे है कि
तुम्हें आराधन(aaradhana) करना है ? अनुष्ठान(anushthan) करना है ? सिद्धी चाहिये ?…
मेरे गोस्वामीजी का मार्ग देखो …जो मार्ग मुक्त मार्ग है।
अनुष्ठान करोगे तो उसमें तर्पण करना पड़ेगा। बलि चढाना होगा। यज्ञ करना होगा, ये सब आयेगा।
इससे पवित्र कौन जल है?
तुम्हारी आँखों का दृग जल …प्रेम जल …ये सबसे भला तर्पण है।
घी चाहिये ?
आप बिल्कुल गरीब हो …मानो घर में रोटी की भी तकलीफ है …कहाँ से यज्ञ करोगे ? संस्कृत में तैली पदार्थ को स्नेह कहते हैं …स्नेह ही घृत (घी)है…और स्नेह भी ….सहज स्नेह।
समीध तो चाहिये …समीध…. हमारे जीवन में खुद के बारे में …खुदाई के बारे में ..छोटे बड़े जो संदेह होते हैं उसकी समिधा जला दो।भाई को भाई पर वहम हो गया…करो अनुष्ठान ….संशय के समीध को जला दो …पति पत्नी में वहम हो गया ….गुरू शिष्य में।
लेकिन किसीने पूछा गोस्वामीजी को …हमें आपकी पद्धति से ये अनुष्ठान करना है सिद्धी के लिये तो हम संशय को जलायें …लेकिन अग्नि तो चाहिये!
करीब करीब ग्रंथों में, शास्त्रों में और लोक बोली में भी क्रोध को अग्नि कहा। लेकिन गोस्वामीजी कहते हैं संशय के समीध को क्षमा की अग्नि में जला दो।
क्रोध की अग्नि में किसीको जलाओगे तो वहाँ बात पूरी नहीं होती …स्थगित होती है।
निर्मूल तो होती है ..किसीने तुम पर संदेह किया ..वहम किया ..तुम्हारा बुरा किया …उसको क्षमा की अग्नि में जला दो।
अब आयी बलि की बात ..तुम्हारे ममत्व ..तुम्हारे अहं की बलि दे दो ..इदं अग्नेय न मम :
किसीने पूछा गोस्वामीजी को …कभी आपने ऐसा अनुष्ठान किया? तो आपका अनुभव?
तो तुलसी कहते हैं कि मैं आपको भरोसा देता हूँ मेरे राम के नाते …शंकर की साक्षी …जिसने इस रूप में भजन का अनुष्ठान किया उसको रघुपति मिले हैं।
तो पूछा …आपको मिले कि नहीं ?
अब देखो ये है पथ ….मार्ग…….ना वाम ..ना दक्षिण …ना कुछ ….मैं प्रभु के पथ पर चढा …हरि के पथ पर चढा …..मैं मार्ग पर हूँ बस ….सिद्धी मुझे सपने में भी नहीं चाहिये।
वैष्णव ने पूछा …बलि पूजा नहीं चाहते ?…अरे वैष्णव छोडो ना ….मोरारी बापू ने पूछा गोस्वामीजी को कि आप कहते हैं कि बलि पूजा नहीं चाहते तो कुछ ना कुछ ईश्वर चाहते तो होंगे ना ?…चाय नहीं चाहते …लेकिन दूध तो पीते होंगे?
बेटा तू मुझे भज रहा है, कोई बलि बलि नहीं …मौज कर ….केवल प्रीत चाहता है …खाली स्मरो …और बहुत भला माने …अहाहाहा…..मेरे दास ने मेरा स्मरण किया।
बापू के शब्द
मानस श्रीदेवी
जय सियाराम