Shri Ramayan ji ki Aarti
श्री रामायण जी की आरती
श्री तुलसीदास कृत राम चरितमानस रामायण आरती
श्री रामायण जी की आरती
आरती श्रीरामायणजी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की।।
कीरति कलित ललित सिय पी की।।
गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद।
बालमीक बिग्यान बिसारद।।
सुक सनकादि सेष अरु सारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी।।
बालमीक बिग्यान बिसारद।।
सुक सनकादि सेष अरु सारद।
बरनि पवनसुत कीरति नीकी।।
आरती श्री रामायण जी की ..
गावत बेद पुरान अष्टदस।
छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस।।
मुनि जन धन संतन को सरबस।
सार अंस संमत सबही की।।
छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस।।
मुनि जन धन संतन को सरबस।
सार अंस संमत सबही की।।
आरती श्री रामायण जी की ..
गावत संतत संभु भवानी।
अरु घट संभव मुनि बिग्यानी।।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी।
कागभुसुंडि गरुड के ही की।।
अरु घट संभव मुनि बिग्यानी।।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी।
कागभुसुंडि गरुड के ही की।।
आरती श्री रामायण जी की ..
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।।
दलन रोग भव मूरि अमी की।
तात मात सब बिधि तुलसी की।।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।।
दलन रोग भव मूरि अमी की।
तात मात सब बिधि तुलसी की।।
आरती श्री रामायण जी की ..
आरती श्रीरामायणजी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की।।
कीरति कलित ललित सिय पी की।।
——जय श्रीरामचंद्रजी की—-
पवनसुत हनुमान की जय