Ramayan : Ram janam ke karan
रामायण : राम जन्म के कारण
((गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने कहा हैं : Geeta me Shri Krishna kehte hai –
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ! अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम !! परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
भावार्थ : हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥ साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ॥ ))
गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में भगवान शिव(Shiv) माता पार्वती(Parvati) को कहते हैं जो कथा काकभुशुण्डि ने गरुण जी को सुनाई, वो कथा मैं आपको सुनाउंगा। आपने पूछा की भगवान संसार में अवतार क्यों लेते हैं?
तब भगवान शिव कहते हैं की आज तक संसार में कोई ऐसा पैदा ही नही हुआ जो पक्की तरह से कह दे की भगवान ने केवल इसी कारण से अवतार लिया हैं। ना ही तो शेष नाग कह सकते हैं , ना ही सरस्वती कह सकती हैं और ना ही ब्रह्मा जी कह सकते हैं की इसलिए अवतार हुआ हैं। क्योंकि भगवान के अवतार लेने के अनेक कारण हैं। उस कारणों को कोई नही कह सकता।
राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका।।
लेकिन फिर भी भोले नाथ जी बता रहे हैं-
जब जब होई धरम कै हानी। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी॥ तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा।।
जब-जब धर्म का ह्रास होता है और नीच अभिमानी राक्षस बढ़ जाते हैं और वे ऐसा अन्याय करते हैं तब-तब वे कृपानिधान प्रभु भाँति-भाँति के (दिव्य) शरीर धारण कर सज्जनों की पीड़ा हरते हैं॥
वे असुरों को मारकर देवताओं को स्थापित करते हैं, अपने (श्वास रूप) वेदों की मर्यादा की रक्षा करते हैं और जगत में अपना निर्मल यश फैलाते हैं। श्री रामचन्द्रजी के अवतार का यह कारण है॥
भगवान शिव कहते हैं- की एक बार सनकादिक ऋषि भगवान के वैकुण्ठ में जाते हैं। वहां पर भगवान के 2 पार्षद जय और विजय द्वारपाल पर रक्षा करते हैं। और उनकी गलती के कारण उन्हें शाप मिल जाता है। पूरी कथा विस्तार से पढ़ने के लिए नीचे दिए ब्लू लिंक पर क्लिक कीजिये।
भगवान शिव कहते हैं की एक बार जालंधर भी रावण बना। वो कथा भी सारा संसार जनता हैं। उस दैत्यराज की स्त्री परम सती (बड़ी ही पतिव्रता) थी। उसी के प्रताप से त्रिपुरासुर (जैसे अजेय शत्रु) का विनाश करने वाले शिवजी भी उस दैत्य को नहीं जीत सके। -प्रभु ने छल से उस स्त्री का व्रत भंग कर देवताओं का काम किया। वही जलन्धर उस कल्प में रावण हुआ, जिसे श्री रामचन्द्रजी ने युद्ध में मारकर परमपद दिया॥
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भगवान शिव ने बताया की ये एक कारण था। दूसरा कारण अब सुनिए- एक बार नारद(Narad) जी से भी भगवान का अपराध हुआ था। और नारद जी ने भगवान को शाप दे दिया। लेकिन माँ पार्वती की श्रद्धा तो देखिये, गुरु में श्रद्धा हो तो ऐसी हो। माँ पार्वती कहती हैं मेरे गुरुदेव नारद ऐसे शाप नही दे सकते। जरूर भगवान ने कोई अपराध किया होगा। बिना कारण मेरे गुरुदेव शाप नही दे सकते हैं।
कारन कवन श्राप मुनि दीन्हा। का अपराध रमापति कीन्हा॥
तब महादेवजी ने हँसकर कहा- न कोई ज्ञानी है न मूर्ख। श्री रघुनाथजी जब जिसको जैसा करते हैं, वह उसी क्षण वैसा ही हो जाता है।
नारद जी को दक्ष प्रजापति का शाप हैं की ढाई घडी से ज्यादा कहीं पर ठहर नही सकते हैं। नारद जी एक बार विचरण करते हुए हिमालय के निकट नारद जी पहुंचे हैं। वहां पर नारद जी ने तप किया है और काम को जीता है। फिर नारद जी में अभिमान आया है। भगवान विष्णु ने नारद जी का अभिमान तोडा है और भगवान को शाप दिया नारद जी ने। की आप भी अपनी पत्नी के वियोग में धरती पर घूमोगे। और आपको बंदर की ही मदद लेनी होगी। जिस कारण भगवान विष्णु राम बने है।
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फिर एक और कारण बताते हैं। स्वायम्भुव मनु और (उनकी पत्नी) शतरूपा, जिनसे मनुष्यों की यह अनुपम सृष्टि हुई। इन्होने भगवान का तप किया है और वरदान स्वरूप भगवान को पुत्र रूप में माँगा है।
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इसके बाद भोले बाबा पार्वती जी को एक कथा और सुनाते है
कैकय देश के एक राजा थे सत्यकेतु। इस राजा के दो पुत्र थे। प्रतापभानु और अरिमर्दन। सत्यकेतु ने प्रतापभानु को राज्यभार सौपा है और खुद वन में भगवान की तपस्या करने चले गए है। इनके मंत्री थे धर्मरुचि। एक बार प्रतापभानु वन में शिकार करने गए। वहां पर कपटी मुनि का संग हुआ है। माया की रसोई बनाई गई है। और ब्राह्मणों ने इसे परिवार सहित शाप दिया है। की तुम असुर कुल में जन्म लोगे।
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इस प्रकार भोले बाबा ने माता पार्वती को अनेक कारण बताये है भगवान राम के जन्म के।
Jai sree ram
jay Shree ram
Jai Siyaram 😊