Ramayan : Nishad Raj Guha story(katha) in hindi
रामायण : निषादराज गुह कथा(कहानी)
अब तक आपने पढ़ा की किस तरह से ककई ने भगवान श्री राम को वनवास भेजा और राम जी अयोध्या छोड़कर राम लक्ष्मण के साथ वन की ओर चले हैं। सीताजी और मंत्री सहित दोनों भाई श्रृंगवेरपुर जा पहुँचे। वहाँ गंगाजी को देखकर श्री रामजी रथ से उतर पड़े और बड़े हर्ष के साथ उन्होंने दण्डवत की।
Ganga Maa ki Mahima : गंगा माँ की महिमा
लखन सचिवँ सियँ किए प्रनामा। सबहि सहित सुखु पायउ रामा॥ लक्ष्मणजी, सुमंत्र और सीताजी ने भी प्रणाम किया। सबके साथ श्री रामचन्द्रजी ने सुख पाया।
गंग सकल मुद मंगल मूला। सब सुख करनि हरनि सब सूला॥
गंगाजी समस्त आनंद-मंगलों की मूल हैं। वे सब सुखों को करने वाली और सब पीड़ाओं को हरने वाली हैं॥
भगवान ने सबको गंगा जी की महिमा बताई है। इसके बाद सबने स्नान किया, जिससे मार्ग का सारा श्रम (थकावट) दूर हो गया और पवित्र जल पीते ही मन प्रसन्न हो गया।
Nishadraja Guh and Shri Ram : निषादराज गुह और श्री राम प्रसंग
आज निषादराज गुह(Nishadraj Guh) को जब ये खबर मिली है भगवान आये हैं। बड़ा प्रेम उमड़ा है इसके मन मे। अपने सभी प्रियजनों और भाई-बंधुओं को बुला लिया और भगवान को भेंट देने के लिए फल, कन्द -मूल लेकर और उन्हें भारों (बहँगियों) में भरकर मिलने के लिए चला।
श्री राम ने उसे अपने पास बिठाया और सब कुशल मंगल पूछा।
निषादराज ने उत्तर दिया- हे नाथ! आपके चरणकमल के दर्शन से ही सब कुशल है। मैं तो परिवार सहित आपका नीच सेवक हूँ॥ अब कृपा करके श्रृंगवेरपुर में पधारिए और इस दास की प्रतिष्ठा बढ़ाइए, जिससे सब लोग मेरे भाग्य की बड़ाई करें।
श्री रामचन्द्रजी ने कहा- हे मेरे प्यारे सखा! तुमने जो कुछ कहा सब सत्य है, परन्तु पिताजी ने मुझको और ही आज्ञा दी है। उनकी आज्ञानुसार मुझे चौदह वर्ष तक मुनियों का व्रत और वेष धारण कर और मुनियों के योग्य आहार करते हुए वन में ही बसना है, गाँव के भीतर निवास करना उचित नहीं है।
यह सुनकर गुह को बड़ा दुःख हुआ॥ वहां जितने भी लोग थे सब कह रहे हैं- कैसे माता पिता है, इतने सुंदर पुत्रों और जानकी जी को कैसे वन जाने की आज्ञा दे दी है? कोई एक कहते हैं- राजा ने अच्छा ही किया, इसी बहाने हमें भी ब्रह्मा ने नेत्रों का लाभ दिया।
तब निषाद राज ने हृदय में अनुमान किया, तो अशोक के पेड़ को (उनके ठहरने के लिए) मनोहर समझा। गुह ने कुश और कोमल पत्तों की कोमल और सुंदर साथरी सजाकर बिछा दी और पवित्र, मीठे और कोमल देख-देखकर दोनों में भर-भरकर फल-मूल और पानी रख दिया। सीताजी, सुमंत्रजी और भाई लक्ष्मणजी सहित कन्द-मूल-फल खाकर रघुकुल मणि श्री रामचन्द्रजी लेट गए। भाई लक्ष्मणजी उनके पैर दबाने लगे। अब भगवान सो रहे हैं।
प्रभु को जमीन पर सोते देखकर प्रेम वश निषाद राज के हृदय में विषाद हो आया। वह प्रेम सहित लक्ष्मणजी से वचन कहने लगा- सीता-राम जी तो दशरथ के महल में सुंदर पलंग पर सोते होंगे। वही श्री सीता और श्री रामजी आज घास-फूस की साथरी पर थके हुए बिना वस्त्र के ही सोए हैं। ऐसी दशा में वे देखे नहीं जाते। विधाता किसको प्रतिकूल नहीं होता! सीताजी और श्री रामचन्द्रजी क्या वन के योग्य हैं? लोग सच कहते हैं कि कर्म (भाग्य) ही प्रधान है॥
नीच बुद्धि कैकेयी ने बड़ी ही कुटिलता की, जिसने रघुनंदन श्री रामजी और जानकीजी को सुख के समय दुःख दिया॥ वह सूर्यकुल रूपी वृक्ष के लिए कुल्हाड़ी हो गई। उस कुबुद्धि ने सम्पूर्ण विश्व को दुःखी कर दिया। श्री राम-सीता को जमीन पर सोते हुए देखकर निषाद को बड़ा दुःख हुआ।
तब लक्ष्मणजी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के रस से सनी हुई मीठी और कोमल वाणी बोले- हे भाई! कोई किसी को सुख-दुःख का देने वाला नहीं है। सब अपने ही किए हुए कर्मों का फल भोगते हैं॥ मिलना, बिछुड़ना, भले-बुरे भोग, शत्रु, मित्र और उदासीन- ये सभी भ्रम के फंदे हैं। जन्म-मृत्यु, सम्पत्ति-विपत्ति, कर्म और काल- जहाँ तक जगत के जंजाल हैं, रती, घर, धन, नगर, परिवार, स्वर्ग और नरक आदि जहाँ तक व्यवहार हैं, जो देखने, सुनने और मन के अंदर विचारने में आते हैं, इन सबका मूल मोह (अज्ञान) ही है। परमार्थतः ये नहीं हैं॥
जैसे स्वप्न में राजा भिखारी हो जाए या कंगाल स्वर्ग का स्वामी इन्द्र हो जाए, तो जागने पर लाभ या हानि कुछ भी नहीं है, वैसे ही इस दृश्य-प्रपंच को हृदय से देखना चाहिए॥ ऐसा विचारकर क्रोध नहीं करना चाहिए और न किसी को व्यर्थ दोष ही देना चाहिए।
जानिअ तबहिं जीव जग जागा। जब सब बिषय बिलास बिरागा॥ जगत में जीव को जागा हुआ तभी जानना चाहिए, जब सम्पूर्ण भोग-विलासों से वैराग्य हो जाए। मित्र! ऐसा समझ, मोह को त्यागकर श्री सीतारामजी के चरणों में प्रेम करो। इस प्रकार श्री रामचन्द्रजी के गुण कहते-कहते सबेरा हो गया! तब जगत का मंगल करने वाले और उसे सुख देने वाले श्री रामजी जागे॥
शौच के सब कार्य करके (नित्य) पवित्र और सुजान श्री रामचन्द्रजी ने स्नान किया। फिर बड़ का दूध मँगाया और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित उस दूध से सिर पर जटाएँ बनाईं। यह देखकर सुमंत्रजी के नेत्रों में जल छा गया। अब हाथ जोड़कर सुमंत्र जी बोले हैं- हे नाथ! मुझे कौसलनाथ दशरथजी ने ऐसी आज्ञा दी थी कि तुम रथ लेकर श्री रामजी के साथ जाओ। वन दिखाकर, गंगा स्नान कराकर दोनों भाइयों को तुरंत लौटा लाना। सब संशय और संकोच को दूर करके लक्ष्मण, राम, सीता को फिरा लाना। इस प्रकार से विनती करके वे श्री रामचन्द्रजी के चरणों में गिर पड़े और बालक की तरह रो दिए॥
अब भगवान राम बोले हैं- शिबि, दधीचि और राजा हरिश्चन्द्र ने धर्म के लिए करोड़ों (अनेकों) कष्ट सहे थे। बुद्धिमान राजा रन्तिदेव और बलि बहुत से संकट सहकर भी धर्म का परित्याग नही किया। वेद, शास्त्र और पुराणों में कहा गया है कि सत्य के समान दूसरा धर्म नहीं है। धरमु न दूसर सत्य समाना। आगम निगम पुरान बखाना॥
मैंने उस धर्म को सहज ही पा लिया है। इस सत्य रूपी धर्म का त्याग करने से तीनों लोकों में अपयश छा जाएगा॥ आप जाकर पिताजी के चरण पकड़कर करोड़ों नमस्कार के साथ ही हाथ जोड़कर बिनती करिएगा कि हे तात! आप मेरी किसी बात की चिन्ता न करें। आप भी पिता के समान ही मेरे बड़े हितैषी हैं। हे तात! मैं हाथ जोड़कर आप से विनती करता हूँ कि आपका भी सब प्रकार से वही कर्तव्य है, जिसमें पिताजी हम लोगों के सोच में दुःख न पावें॥
पेज २ पर जाइये
Very good
but provided in pdf file
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मैने सुना है कि श्रीराम को भगवान की उपाधि राजा गुह ने दी थी। क्या यह सत्य है। इसके बारे में जानकारी उपलब्ध करायें।
इस बारे में कोई विशेष जानकारी तो नहीं मिलती है, लेकिन गुरु वशिष्ठ, विश्वामित्र और केवट आदि सब जानते थे की ये भगवान ही हैं।
insano ko bhagwan babana murkhata hai
ram bhagwan hai, apne bhakto ke liye hi unhone insaan ke rup me avtar liya hai . Jai siyaram 🙂
Yes
Jai Shri Ram
ramji ne kewat ko apana sakha mana lekin aj dharam ke thekedaro ne kya kiya
dharam ke thekedaro se hame kya lena dena bhai, unhe unka kaam karne do. hame oro se kuch kaam nahi, ab jo kalank lage so lago, sang dusra ab chadhega nahi, sakhi sanwro rang rango so rango
jiski jaisi samjh hoti hai vo vaisa karta hai.. hame to sirf ram naam me viswas rakhna hai.. ram naam hi gaana hai, ram naam me hi jina hai.. Jai Siyaram 🙂
JAY NISHAD RAJ
Bhagwan Prabhu Sri Ram ji Ne Nishadraj ko sakha banaya. iske baad aur kis kisko unhone apna sakha banaya kripya jankari uplabdh karaye?
Jai Sri Ram, jai Nishad Raj.
Arun kumar Nishad
vill+post -Jamalpur, P.S.-Bairia, Distric Ballia. UP mobil no 9161454566
Sugriv ji bhi Bhagwan Ram ke sakha the. or inki mitarta khud shri Hanuman ji ne karwai thi.
Jai Shri Ram
sugrive evam vibhishan jo kiskindha evam and lanka ka raja tha nishad raj ke bad ye do sakha bhagwan ram ji ke aur he dhanyabad,.]
Jai Shri Ram, Jai nishad raj , Jai Ho Ram bhakt Vibhishan ki .. Jinhone bhagwan Ram ki madad ki…
Jai Sri RAM.
Jai Nishadraaj.
Jai Nishad Raj
jai nishad raj
j n r
Jai Shri Ram
Jai Shri Ram.. Jai nishad Raj
Nice lovely …true story
Jai ho nishad raj.. jai Shri Ram
ram ji aur Nisad raj ki mitrata ka bibran khan dekhe
Jai Shri Ram….
aap niche diye link me Ram or Nishadraj ki dosti ko padh sakte hai…
http://www.hindi-web.com/god/ram/ramayan-nishad-raj-guha-storykatha-hindi/
JAI SRI NISHAD RAJ ..JAI SRI RAM
Jai Shri Ram.. Jai Nishad Raj…
निषाद राज के माता पिता का नाम यदि आप जानते हो
सॉरी, निषादराज के माता पिता का नाम मुझे नहीं पता है । जय श्री राम । । जय श्री राम ।
Nishad Raj ke mata pita ka name nhe pata apko ,parntu aapko ye pata hai ki nishad raj ne bola ki ” mai to parivar ke sath aapka neech sevak hun “., unke maa baap ka name pata kar lo to khud he ram ka or nishad raj ka rista samjh ajyega .
Jai Siyaram 🙂 bhai.. aap unka sambandh jaante hai to acchi baat hai.. aap hame bhi bta dijiye.. muje to prem ka sambandh dikhai deta hai.
JAY SHIR RAM …
JAY SHRI RAM
JAI SHIR RAM … RAM JI KA NAAM LETE HI MAN KO SHINTI MILTI HAI.
SIYAPATI RAMCHANDR KI JAI ……..
SIYAPATI RAM CHANDAR BHAGWAN KI JAI . JAI SHRI RAM
Jai shree ram….. .
Jai Shri Ram .. जय श्री राम
very very good story
Thank you… Jai Shri Ram
Jai Nishad Raj
jai nishad raj.. jai siyaram 🙂
Jai Sri Ram
Jai Shri Ram
Bhai log ab tumko koun samjhaye
ye devi devtao me bhed bhav kaisa
bilkul… Jai Siyaram
Jai Shri Ram
Jai Siyaram
Please tell me origin of kevat and guha by detail in hindi
sorry, i don’t have any information about this. Jai Shri Ram