Ramayan : kevat story(katha) in hindi
रामायण : केवट कहानी(कथा)
अब तक आपने पढ़ा की किस प्रकार श्री राम जी ने निषादराज गुह(Nishadraj Guh) पर कृपा की। फिर भगवान ने गंगा माँ को प्रणाम किया है और भगवान केवट के पास आये हैं।
मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
श्री राम ने केवट से नाव माँगी, पर वह लाता नहीं। भगवान बार बार कह रहे हैं की केवट नाव लाओ, नाव लाओ। लेकिन एक केवट है सुन ही नही रहा है। संत जन कहते हैं ऐसा नही है की भगवान की बात मानना नही चाह रहा है, क्योंकि केवट जानते हैं। अगर राम जी नाव में बैठ गए तो चले जायेंगे। किसी के कहने से रुकते नही हैं भगवान। महाराज दशरथ ने रोका पर नही रुके, माता ने रोका पर नही रुके, गुरु वशिष्ठ ने रोका पर नही रुके, सुमंत्र ने रोका नही रुके, और निषादराज गुह ने रोका तब भी नही रुके। अब मैं रोकूंगा तो भी नही रुकेंगे। लेकिन जायेंगे तो तब जब मैं नाव लेकर आऊंगा। मैं नाव नही लाऊंगा। ये प्रेम है भक्त का कहीं मेरे भगवान ना चले जाएँ।
केवट कहते हैं भगवान! मैं आपके मर्म को जनता हूँ। अब थोड़ा सोचिये भगवान के मर्म को कौन जान सकता हैं? बड़े बड़े योगी आये और चले गए, बड़े बड़े ज्ञानी और बुद्धिजीवी आपके रहस्य को , आपकी सत्ता और आपके स्वरूप को नही जान पाये। पर आपके मर्म को, भेद को मैं जाना गया हूँ।
भगवान कहते हैं- केवट तुम ये बताओ की नाव में बिठाओगे या नही? क्योंकि हमें देर हो रही है और हमें जाना है।
केवट कहते हैं प्रभु तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। जिसके छूते ही पत्थर की शिला(अहिल्या) स्त्री बन गई। मेरी नाव तो काठ(लकड़ी) की है। और काठ पत्थर से ज्यादा कठोर तो होता नहीं है। मेरी नाव भी मुनि की स्त्री हो जाएगी और इस प्रकार मेरी नाव उड़ जाएगी, मैं लुट जाऊँगा। आप पार भी नही पा पाएंगे और मेरी रोजी-रोटी भी छिन जाएगी। मैं तो इसी नाव से सारे परिवार का पालन-पोषण करता हूँ। दूसरा कोई धंधा नहीं जानता।
जौं प्रभु पार अवसि गा चहहू। मोहि पद पदुम पखारन कहहू॥ हे प्रभु! यदि तुम अवश्य ही पार जाना चाहते हो तो मुझे पहले अपने चरणकमल पखारने (धो लेने) के लिए कह दो॥
एक संत कहते हैं इसी बीच केवट का बेटा आ गया वो कहता है की पिताजी, इनके सिर्फ चरणों से ही खतरा नही है इनके तो हाथों से भी खतरा है। आपको याद होगा न की इन्होने शिव धनुष को सिर्फ हाथ लगाया था और उसके 2 टुकड़े हो गए थे। इसलिए इनके हाथों में भी जादू है।
जब लक्ष्मण जी ने ये बात सुनी तो कहते हैं बाप तो बाप बेटा भी उस्ताद है। ये दोनों बाप-बेटा हमें पार नही जाने देंगे। लक्ष्मण जी सोच रहे हैं बस एक बार नाव में बैठ जाएँ फिर देखूंगा इसको। क्योंकि लक्ष्मण जी को अंदर से बुरा लग रहा है। मेरे होते हुए रघुनाथ जी को हाथ फैलाकर मांगना पड़ रहा है। लक्ष्मण जी को अच्छा नही लग रहा है। लेकिन भगवान इस लीला का आनंद ले रहे हैं। भगवान को ऐसे हठीले भक्त बहुत अच्छे लगते हैं। क्योंकि उनके हट्ठ में भी प्रेम है।
केवट कहते हैं-
पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं। मोहि राम राउरि आन दसरथसपथ सब साची कहौं॥
बरु तीर मारहुँ लखनु पै जब लगि न पाय पखारिहौं। तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपाल पारु उतारिहौं॥
अर्थ: हे नाथ! मैं चरण कमल धोकर आप लोगों को नाव पर चढ़ा लूँगा, मैं आपसे कुछ उतराई नहीं चाहता। हे राम! मुझे आपकी दुहाई और दशरथजी की सौगंध है, मैं सब सच-सच कहता हूँ। लक्ष्मण भले ही मुझे तीर मारें, पर जब तक मैं पैरों को पखार न लूँगा, तब तक हे तुलसीदास के नाथ! हे कृपालु! मैं पार नहीं उतारूँगा।
सुनि केवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे। बिहसे करुनाऐन चितइ जानकी लखन तन॥केवट के प्रेम में लपेटे हुए अटपटे वचन सुनकर करुणाधाम श्री रामचन्द्रजी जानकीजी और लक्ष्मणजी की ओर देखकर हँसे॥ धन्य है ऐसा भक्त जिसने भगवान के चेहरे पर हंसी ला दी।
बेगि आनु जलपाय पखारू। होत बिलंबु उतारहि पारू॥ श्री रामचन्द्रजी केवट से मुस्कुराकर बोले भाई! तू वही कर जिससे तेरी नाव कोई नुकसान ना हो। भगवान कहते हैं-भैया! जल्दी पानी ला और पैर धो ले। देर हो रही है, पार उतार दे।
गोस्वामी जी कहते हैं गजब की बात है जो सबको पार उतारते हैं वो आज कह रहे हैं की केवट हमें पार उतार दे भैया।
जासु नाम सुमिरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा॥ सोइ कृपालु केवटहि निहोरा। जेहिं जगु किय तिहु पगहु ते थोरा॥
अर्थ: एक बार जिनका नाम स्मरण करते ही मनुष्य अपार भवसागर के पार उतर जाते हैं और जिन्होंने (वामनावतार में) जगत को तीन पग से भी छोटा कर दिया था (दो ही पग में त्रिलोकी को नाप लिया था), वही कृपालु श्री रामचन्द्रजी (गंगाजी से पार उतारने के लिए) केवट का निहोरा कर रहे हैं!
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Ramayan is very very good
yes, Ramayan is best … Jai SiyaRam
kewat is best role in ramayan
Jai Kevat ki.. Jai Shri Ram ki
shree ram aur kewat katha bahut sundar laga…
Dhanywad.. Jai Shri Ram
MARMA SPARSHI PRASANG OF SHRI RAMCHARITMANAS
keval bhi paar lagate hai, Ramji bhi paar lagate hai, lekin aaj keval ji unko paar laga rahe hai jo sabko paar lagate hai.. Jai Shri Ram
Least ji ka naam Kia hai…kewat in general are the captain’s. Please advice.
Sorry mobile picked least but it’s Kewat ji
kewat ji ka arth hai naav chalane wala, mallah, boatman.
केवट जी का अर्थ है नाव चलाने वाला, मल्लाह, boatman. yes you can say captain.
whAT IS REAL NAME OF KEVAT
kevat ka naam, kevat hi aata hai shastro me. jo naav chalaye use kevat kehte hai. jai shri ram
Sweet
Thanks
Thank u
मैं धन्य हूँ जो केवट कुल मैं जन्म लिया हूँ ।
ओर दुखी भी हूँ हमारे बारे मे गूगल पे बहुत संक्षिप्त जानकारी लिखीं गईं हैं
jitni jaankari hame mili vo likh di gai hai.. vaise dhany hai kevat… jinhone ram ko dekha.. naav me raasta paar karwaya
I want kwon thing when was kewat in india how many cast in india
muje sirf ek caste ka pta hai jo bhagwan ko pasand hai.. that is only love .
I want to know one thing ,when was kewat does something to cross river for lord rama ,in that time how many cast in india
sorry.. caste ke bare me koi jaankari nahi h.. yahan bhakt or bhagwan ki baat hai..
हममें भोत पसंद आए और हमारे बच्चे को भी काफ़ी सहायता मिली
धन्यवाद🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
sukriya…. Jai siyaram