Bhagwan Raja Ram Kaise hai?
भगवान राजा राम कैसे है?
भगवान राजा राम को जब उपमा देने की बात आई तो लोग थक गए कि भगवान राम कैसे हैं? मोरारी बापू के शब्दों में सुनिए, वो कहते हैं कि
राम राजा के बारे में तो साहब उपमा देने वाले दुनिया भर का साहित्य हाथ ऊँचे कर चुके हैं कैसा है राम राजा?
कोटि कोटि …अरबों अरबों कुबेर से बही ज़्यादा संपदावान है राम।
करोडों करोडों माया का जो प्रपंच है उसका वो निधान है।
सबके भार उठाने के लिये सत् कोटि शेष समान राम है।
अवधी से पर, सीमा मुक्त, निरूपम, ऐसा समर्थ प्रभु
राम के लिये कोई उपमा नहीं …साहब।
हे रघुनाथ ….मैं तेरी तुलना किससे करूँ?
सब हाथ ऊँचे कर बैठे। 1 संस्कृत वांगमय ने सोचा कि राम को कल्पतरू की उपमा दी जाये।
लेकिन सोचा कि नको(नहीं)…नको..नको, राम को कल्पतरू ना कहा जाये। ये उपमा राम के पास बिल्कुल निर्रथक है।
पूछा किसी ने – क्यूँ?
तो कहे कल्पतरू तो काष्ट(लकड़ी) है, मेरा राम काष्ट नहीं है।
सोचा मेरू की उपमा दूँ?
तो कलम छोड़ दी। नको …नको …नको ….क्यूँकी मेरू जड है। मेरा राम जड नहीं है।
चिंतामणि कहूँ राम को? ये ठीक होगा ?
सोचा कि नहीं.. नहीं.. नहीं.. । चिंतामणि भी नहीं कह सकते। क्यूँकी चिंतामणि तो पत्थर का टुकडा है। मेरा राम पत्थर नहीं है।
सूर्य कहूँ?
नहीं। तुलसीदासजी ने मना कर दिया …राम सूर्य नहीं है। भानुकुल भानु है ….सूर्यों का सूर्य है। सूर्य कि किरण तो प्रखर है …प्रचंड है …तीव्र है ….मेरा राम सौम्य है …..
चंद्र कह दूँ?
मना कर दिया …नहीं। चंद्र में तो वृद्धि …क्षय …वृद्धि ..क्षय ……राम में कभी वृद्धि क्षय नहीं होता। ये तो अखंड मूर्ती है।.
अब क्या करें? कवि अकुलाया।
कामदेव कह दूँ?
नहीं….काम भी नहीं। क्यूँकी काम अतनु है। शरीर के बिना है। राम राजा शरीरधारी है ….साकार है। अब करें क्या यार ?
एक काम करें। राम को बलि कह दें। कितना बड़ा दानी।
खबरदार बलि का नाम दिया तो …..बलि तो दीती का बेटा है….दैत्य है। राम तो परमात्मा है।
पढ़े : राजा बलि की कहानी
तो अब करें क्या? किस रुप में प्रस्तुत करें? कैसे उसको पेश करें? राम को कामधेनु कह दें?
कामधेनु का रुप तो गाय का है ….ये तो पशु है …नहीं …नहीं ….ये भी नहीं।
हे रघुनाथ! मैं कैसे तोलूँ तुम्हें? किस रुप में? कोई उपमा मेरे से दी नहीं जाती। थक गया …..इस थके हुए आदमी का नाम है चाणक्य।
बापू के शब्द
मानस राम राजा
जय सियाराम