Who is the best in Goddess?
एक समय सनक-सनन्दन आदि ब्रह्मा जी के पास स्तुति करते हुए गए और पूछा कि सर्वप्रधान देवता कौन हैं और उनकी कौन-कौन
सी शक्तियाँ हैं? उन शक्तियों में कौन सी शक्ति सबसे श्रेष्ठ है?
ब्रह्मा जी बोले- ‘‘पुत्रो, मैं तुम्हें अत्यन्त गोपनीय से भी गोपनीय रहस्य बता रहा हूं, अनधिकारी लोगों को यह मत बताना।
कृष्ण स्वरूप में भगवान हरि ही परम तत्व हैं और परम देवता हैं।
शास्त्रों में सबसे श्रेष्ठ श्रीमद्भागवत् है। उसमें वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण ही स्वयं एकमात्र भगवान हैं और बाकी सब तो
उन्हीं के अंश या कला हैं। कृष्ण ही स्वयं भगवान हैं। वृन्दावन उनका धाम है और गोप-गोपियों से वे आराधित हैं। उनका आदि
नहीं है, वे ही सबके आदि हैं। उनका ही एक वैभव प्रकाश नारायण है। सब अवतार उन्हीं से उत्पन्न हैं। उनकी एक परा शक्ति है।
जिनका नाम आल्हादिनी शक्ति है। उसे स्वरूप शक्ति भी कहते हैं, वे कृष्ण से अभिन्न हैं। वे ही राधा जी हैं।
कृष्ण की समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं। कृष्ण भी उनकी आराधना करते हैं। उन्हें प्रसन्न देखकर कृष्ण प्रसन्न होते हैं
और कृष्ण को प्रसन्न देखकर वे प्रसन्न होती हैं।’’ इसलिए राधा जी के आर्विभाव दिवस पर हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि
राधा-कृष्ण युगल की सेवा में हमें अधिकार प्रदान करें। ‘‘राधिका जी कौन हैं- ये कृष्ण की प्रणय अर्थात् जाग्रत चेतना हैं।
कृष्ण हैं ‘रसो वै स:’। अर्थात् वे सब रसों के आस्वादक भी हैं और सागर भी हैं। राधिका जी उनके प्रेम की घनिभूत मूर्ति हैं। वो
प्रेम की घनिभूत मूर्ति महाभाव स्वरूपा विलास के लिए और कृष्ण को आनन्द देने के लिए जब मूर्ति धारण करती हैं, उन्हीं का
नाम राधिका जी है।
इनके दर्शन और प्राप्ति बहुत ही दुर्लभ हैं। ब्रह्मा जी जो इस जगत का सृजन करने वाले हैं, जिनके चार सिर हैं और अपने चारों सिरों
से जिन्होंने वेदों को प्रकट किया है, ऐसे ब्रह्मा जी तथा शुकदेव गोस्वामी, नारद जी इत्यादि के लिए कृष्ण की चरण रेणु पाना
दुर्लभ है तो कृष्ण की स्वरूप शक्ति राधा जी के दर्शन पाना और भी अधिक दुर्लभ है।
हरे कृष्ण।।