Navratri : Navratri kaise kiye jate hain
नवरात्र : नवरात्र कैसे किये जाते हैं
नवरात्रे क्या है ? नवरात्रो का महत्व क्या है ? क्यों किये जाते है नवरात्रे ?
वर्ष की 4 नवरात्रियों में 2 मुख्य (चैत्र और अश्विन) नवरात्रि हैं।
यह चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक 9 दिन के होते हैं, परंतु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन की नवरात्रि ही मुख्य माने जाते हैं।
इनमें भी चैत्र नवरात्रि की अपनी विशिष्टता और महत्ता है। चैत्र मास के नवरात्रो को ” वार्षिक नवरात्रे “ और अस्विन मास के नवरात्रो ” शारदीय “ कहते है||
Maa Durga Pujan Vidhi : माँ दुर्गा पूजन विधि
माँ के इस मन्त्र का जप करने से सारे कष्ट दूर हो जाते है ||
Durga Mantra : दुर्गा मंत्र – ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः।
महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती– ये तीनों देवियां क्रमश: महादेव, विष्णु और ब्रह्मा की शक्तियों के रूप में संसार में जानी जाती हैं। इन तीन देवियों के भी तीन-तीन स्वरूप हैं। नवरात्र में दुर्गा के इन्हीं 9 रूपों की पूजा की जाती है।
महाकाली के रूप में मां दुर्गा की आराधना समस्त कष्टों और पापों से मुक्ति प्रदान कराती है। महालक्ष्मी के रूप में दुर्गा की आराधना धन, एश्वर्य और कीर्ति प्रदान कराती हैं। महासरस्वती के रूप में मां दुर्गा की आराधना भक्ति, ज्ञान, व मुक्ति प्रदान कराती है।
सबसे पहले स्नान कर आसान पर बैठ जाये फिर शुद्ध जल से तीन बार आचमन करे – ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ||
उसके बाद हाथ धो ले | फिर हाथ में चावल एवं फूल लेकर अंजुरि बांध कर माँ दुर्गा देवी का ध्यान करें।
और इस मन्त्र का जप करे ||
“सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
अर्थ :- नारायणी! तुम सब प्रकार का मङ्गल प्रदान करनेवाली मङ्गलमयी हो। कल्याणदायिनी शिवा हो। सब पुरुषार्थो को सिद्ध करनेवाली, शरणागतवत्सला, तीन नेत्रोंवाली एवं गौरी हो। तुम्हें नमस्कार है।
नौ दिनों तक पूर्ण पवित्रता और सात्विकता बनाए रखते हुए देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करने का विधान है। विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्र में व्रत के समय बार-बार पानी पीने, दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और स्त्री के साथ संबंध बनाने से भी व्रत खंडित हो जाता है। यानी नवरात्र में पति-पत्नी को साथ सोने से भी बचना चाहिए। नवरात्र के दिनों में रात्रि के समय देवी की पूजा अधिक फलदायी होती है क्योंकि देवी रात्रि स्वरुप हैं और भगवान शिव दिन के स्वरूप। इसलिए नवरात्र के दिनों में मन को एकाग्र करके देवी में ही लगाना चाहिए न कि उन्य चीजों में।
इस व्रत में नौ दिन तक भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ तथा एक समय भोजन का व्रत धारण किया जाता है। प्रतिपदा के दिन प्रात: स्नानादि करके संकल्प करें तथा स्वयं या पण्डित के द्वारा मिट्टी की वेदी बनाकर जौ बोने चाहिए। उसी पर घट स्थापना करें। फिर घट के ऊपर कुलदेवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन करें तथा ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ कराएं। पाठ-पूजन के समय अखण्ड दीप जलता रहना चाहिए। वैष्णव लोग राम की मूर्ति स्थापित कर रामायण का पाठ करते हैं। दुर्गा अष्टमी तथा नवमी को भगवती दुर्गा देवी की पूर्ण आहुति दी जाती है। नैवेद्य, चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्या तथा छोटे बच्चों को भोजन कराना चाहिए। नवरात्र ही शक्ति पूजा का समय है, इसलिए नवरात्र में इन शक्तियों की पूजा करनी चाहिए।
अंतिम दिन पर, कन्या पूजन होता है। उन नौ जवान लड़कियों की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है। इन नौ लड़कियों को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है। लड़कियों का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। पूजा के अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े पेश किए जाते हैं।